बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहती थीं। दोनों बिल्ली बहुत प्यारी और सुंदर थीं, लेकिन उनमें एक फर्क था – एक बिल्ली बहुत चंचल और शरारती थी, जबकि दूसरी बिल्ली शांत और समझदार थी।
एक दिन, दोनों बिल्लियाँ जंगल में घूमते हुए एक रसगुल्ले का टुकड़ा देखती हैं। दोनों बिल्लियाँ उसे पाने के लिए झगड़ने लगती हैं। एक बिल्ली कहती है, “यह रसगुल्ला मेरा है, क्योंकि मैंने पहले देखा था।” दूसरी बिल्ली कहती है, “नहीं, यह मेरा है क्योंकि मैंने पहले इसे महसूस किया था।”
झगड़ा बढ़ने पर, दोनों बिल्लियाँ तय करती हैं कि वे अपनी समस्या को एक ज्ञानी और समझदार बंदर के पास लेकर जाएँगी, जो जंगल में अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध था। दोनों बिल्लियाँ बंदर के पास जाती हैं और अपनी समस्या बताती हैं।
बंदर सोचता है और कहता है, “मैं इस रसगुल्ले को बराबर हिस्सों में बाँट दूँगा, ताकि तुम्हारा झगड़ा खत्म हो जाए।” बंदर रसगुल्ले को दो हिस्सों में काटता है, लेकिन दोनों हिस्से बराबर नहीं होते। फिर वह एक हिस्सा थोड़ा और काटता है, ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। इस तरह से वह रसगुल्ले को और छोटा कर देता है।
दोनों बिल्लियाँ देखती हैं कि अब रसगुल्ला बहुत छोटा हो गया है, और दोनों को अब बहुत निराशा होती है। वे समझ जाती हैं कि जिन्दगी में कभी-कभी अधिक लालच करने पर इंसान या जानवर दोनों ही नुकसान उठाते हैं।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी संतोष और समझदारी से काम लेना चाहिए, बजाय कि अधिक लालच करने के।
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